मौसेरी बहन की कुंवारी चूत की चुदाई

सील बुर की कहानी मेरी मौसी की बेटी की जवानी का स्वाद चखने की है. वो हमारे घर में ही रहती थी. मैं अक्सर उससे मजा लेता रहता था पर वो शायद डरती थी.

यह एक सच्ची सील बुर की कहानी है, जो मेरी अपनी ही है.
मेरा नाम राजा है और ये नाम काल्पनिक है.

मैं हिंदी सेक्स कहानी पढ़ पढ़ कर इन कहानियों का शौक़ीन हो गया हूँ.

भाई बहन सेक्स कहानी को पढ़ कर मैं अपने ही घर में अपनी ही मौसी की लड़की पर गलत निग़ाह डालने लगा था.
वो हमारे यहां ऊपर के हिस्से में रहती थी.

मेरी मौसी की तीन लड़कियां थीं.
एक का नाम निशा, दूसरी का नाम रश्मि और सबसे छोटी का नाम पिंकी था.

मैं और मेरा एक दोस्त दीपक, हम सब मौसी के लड़कियों के साथ आपस में हर तरह की बात साझा कर लेते थे.

मैं निशा के चक्कर में लग गया कि अगर निशा से मेरा जुगाड़ फिट हो जाए, तो घर में ही मौज रहेगी.
पर वो मुझसे बचती थी.

उसको पता था कि मैं उसके ऊपर गलत निगाह रखता हूँ क्योंकि कभी कभी मैं उसको अपनी बहन की बेबी पकड़ाने के बहाने से उसकी चूची को कुछ जोर से छू लेता था.
वो मुझको ग़ुस्से में घूरकर देखती थी.

मैं फिर भी नहीं मानता था. कभी भी मौका मिलते ही उसका दूध दबाने से बाज नहीं आता था.
जब वो नहाती थी, तब भी मैं उसको देखने की कोशिश में लगा रहता था.

गर्मी के दिनों में मैं रात को ऊपर आ जाता था, जहां वो सोयी हुई होती थी. मैं उसके बराबर में लेट कर कपड़ों के ऊपर से ही अपना लंड उसके पीछे लगा कर हल्के हल्के धक्के मारने लगता था और उसके बूब्स दबा देता था.

मगर मुझे उसे चोदने का मौका नहीं मिल पा रहा था कि कब वो अकेली सोती हुई मिले और मैं उसकी चूत चोदने का खेल खेल लूं.

चूंकि हमारी बड़ी फैमिली है, सबके साथ में हल्का सा भी शोर होने पर मेरी पिटाई होने की पूरी गुंजाईश थी.
फिर सर्दियों के दिन आए और मेरे घर के सब लोग नीचे सोने लगे.

मौसी अपने ऊपर वाले कमरे में सोती थीं.
रात को मैं उनके कमरे में टीवी देखने के बहाने चला जाता और उनकी ही रज़ाई में बैठ कर देखता रहता.

जब तक सब जागते, तो मैं चुपचाप बैठ कर टीवी देखता रहता. फिर थोड़ी देर बाद लेट कर देखने लगता.

फिर जब सब सोने लगते, तो मैं निशा के ऊपर से ही उसके बूब्स हल्के हल्के से से सहला कर मज़े ले लेता. कभी कभी मुझे ऐसा लगता, जैसे वो भी मज़े लेती हो. पर पता नहीं था कि वो क्या सोचती थी.
जब सुबह होती तो वो मुझसे दूर सी रहती थी.

एक दिन मैं उसके बराबर में लेट कर हल्के हल्के से अपना लंड उसकी गांड पर लगा कर कपड़ों में ही मज़े ले रहा था.
वो भी कुछ नहीं कह रही थी.

कुछ देर बाद जब मुझसे सब्र नहीं हुआ तो मैंने उसकी सलवार की गांठ खोल दी और हल्के से उसकी सलवार को नीचे सरका दी.
उस समय अन्दर से मेरी पूरी फ़ट रही थी मगर खोपड़ी पर सेक्स का भूत भी सवार था.

मैं सोच रहा था कि एक बार निशा मुझसे चुद गयी तो फिर ये खुद दे दिया करेगी और मेरी मौज रहेगी.

जब मैं उसके पास लेटा सलवार खोल रहा था, तो वो हल्का सा कसमसाई.
पर वो गहरी नींद में थी.

मैं चुप होकर लेट गया.
कुछ देर बाद मैंने फिर से हरकत शुरू की और उसकी सलवार चड्डी सहित नीचे कर दी.

अब मैं अपना लंड हल्के हल्के उसके चूतड़ों पर लगा कर ऊपर नीचे करने लगा.
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था मगर ऐसे किसको सब्र आने वाला था.

मैंने थोड़ी और हिम्मत की और अपना लंड उसकी गांड के छेद पर सैट कर दिया.
छेद पर लंड सैट होते ही मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया मगर उसका छेद बहुत छोटा सा था.

मैंने लंड पर हल्का सा थूक लगाया और अपने लंड को वापस उसकी गांड पर सैट करके फिर से उसको अन्दर करने की कोशिश करने लगा.
जैसे ही मैंने ज़्यादा ज़ोर लगा कर लंड घुसेड़ा, तो मेरा लंड का टोपा उसकी गांड के छेद में घुस गया.

मगर वो एकदम से चिल्ला दी.
मैंने उसका मुँह भींच कर दबा दिया और उठ कर वहां से चला गया.

अगले दिन मैं डर रहा था कि कहीं घर में सबको पता चल गया तो क्या होगा.
मैं सुबह से ही पूरा दिन घर से बाहर ही रहा.

शाम को वापस आया. घर पर किसी ने कुछ नहीं कहा.
शायद उसने किसी से कुछ नहीं कहा था.
मैंने राहत की सांस ली.

ऐसे ही दो दिन बीत गए.

तीसरे दिन मैं फिर से ऊपर मौसी के कमरे में टीवी देखने चला गया.
मैंने देखा कि निशा सो रही थी. मैं हिम्मत करके उसकी रज़ाई में ही जाकर बैठ गया.

अब मैं सबके सोने का इंतज़ार करने लगा.
देखते देखते सब सोने लगे.

मौसी कहने लगीं- तू देख रहा है टीवी, मुझे तो नींद आ रही है. देख कर बंद कर दियो … और जब जाए, तो मुझे बता दियो.
मैंने हां कह कर उनको बोल दिया कि जब जाऊंगा, तब आपको उठा कर चला जाऊंगा.

अब मैंने अपना काम शुरू कर दिया.
आज निशा सीधी लेटी हुई थी.

मैंने सोचा आज पहले ऊपर से मज़े ले लूं. मैंने उसकी टांगों में हाथ फेरा तो उसने स्कर्ट पहनी थी और अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी.

मैंने उसकी चूत पर उंगली फेरना शुरू कर दिया. मुझे उसकी चूत सहलाने में मज़ा आने लगा.

अब मेरा मन उसे चोदने को करने लगा. मैं हल्के से उसके ऊपर से किस करने लगा कि कहीं वो जाग ना जाए.

फिर मैं हट गया और देखा कि उसकी चूत नीचे से गीली हो गयी थी.
मैंने समझ लिया कि बहन की चूत लंड मांग रही है.

तो मैंने रजाई में ही उसके ऊपर चढ़ कर अपना वजन अपने हाथों पर लिया और उसकी चूत में लंड लगा कर रगड़ देने लगा.

फिर कुछ पल बाद लंड को उसकी चूत के छेद पर रख कर अन्दर डालने लगा.

कभी मैं ऊपर की तरफ़ रगड़े मारता, कभी हल्के जोर से लंड का टोपा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करता.
मगर लंड चूत में घुस ही नहीं रहा था.

मैंने सोचा कि पहले इसकी चूत को उंगली से ढीली कर लेता हूँ, तभी ये लंड ले पाएगी वरना तो ये बहुत शोर मचाएगी.

मैंने उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी.
वो भी ज़रा कसमसायी मगर उंगली लेने लगी.

मैं एक हाथ से अपने लंड की मुठ मारता रहा.
ऐसे ही जोश में मैंने अपने हाथ से अपनी पिचकारी लगवा दी और उठ कर चला गया.

उस दिन मुझे समझ आ गया था कि मेरी बहन मुझसे चुदने के लिए राजी है.

अब मैं रोज यही खेल शुरू करने लगा था. रात के साथ मैं दिन में भी उस पर चांस मारने लगा था.
मगर वो दिन में मुझे ज्यादा भाव नहीं देती थी.

फिर एक दिन मेरी दूसरी मौसी की लड़की आयी हुई थी.
उसका नाम गरिमा था. वो और हम दोनों आपस में खूब मज़ाक़ करते थे.

उस दिन गरिमा मुझसे मज़ाक़ कर रही थी और कह रही थी कि तेरी कोई सैटिंग हुई है या नहीं अभी तक?

मैंने कहा- एक से कोशिश तो करता हूँ, पर वो कुछ ज्यादा भाव खा रही है.
ये सब बातें निशा सुन रही थी.

गरिमा बोली- तो छोड़ उसे … तुझे तो बहुत मिल जाएंगी, तू है ही इतना हैंडसम!
मैं हंसने लगा और वो भी!

फिर उसने बताया- यार मेरा ब्वॉयफ्रेंड आ रहा है. उससे कैसे मिलूँ, मैं पहली बार मिलने जा रही हूँ.
मैंने बोला- बुला ले उसे … मैं और निशा तेरी हेल्प कर देंगे. वैसे वो है कौन?

वो बोली- तेरा ही दोस्त दीपक है.
मैं बोला- कोई बात नहीं. चढ़वा ले अपने ऊपर!
गरिमा हंस दी.

मैंने सोचा कि जब इसका कुछ हो जाएगा, तो इसको देख कर अपना भी कुछ हो जाएगा.
निशा को यह सब देख कर भी सेक्स सवार होगा.

हम सब उसको मिलवाने के लिए प्लान करने लगे.

मैंने गरिमा से कहा- तू दोपहर को मिलने का प्लान रख, सबसे ऊपर वाली छत पर, वहां कोई नहीं आता जाता.
गरिमा सोचने लगी.

काफी विचार करने के बाद हम सब ने यही ठीक समझा.
अगले दिन जब उसका ब्वॉयफ्रेंड आया, तो मैं और निशा रखवाली में लग गए.

मैंने गरिमा से कहा- यार ये निशा डर रही है कि किसी को पता ना चल जाए. कहीं ये सब को बता ना दे.
गरिमा ने कहा- फिर कैसे करें?

मैंने कहा- तू इसको मेरे साथ सैट करवा दे, मैं इसको अपने साथ बिजी रखूँगा. वैसे भी हम दोनों कुछ ज्यादा तो करेंगे नहीं. बस तेरी हेल्प की वजह से कर रहा हूँ.

ये सब गरिमा मान गयी और उसने निशा को समझाया कि तू राजा से मज़े ले ले. वैसे भी आजकल कौन मज़े नहीं लेता.

निशा ने मना कर दिया.
वो बोली- मैं कुछ नहीं करने वाली.

गरिमा उसकी बात से कुछ ग़ुस्सा भी हुई पर वो ज़्यादा कुछ कह नहीं सकती थी क्योंकि वो सोच रही थी कि कहीं ये उसके काम में कोई परेशानी खड़ी ना कर दे.

कुछ देर बाद हम सब हंसी मज़ाक़ करने लगे.

मैं बोला- आज तो गरिमा, तेरा ठोकू तुझे जन्नत की सैर कराएगा.
ये कह कर हम तीनों हंसने लगे.

गरिमा बोली- ऐसा कुछ नहीं है. सैर तो मैं कराऊंगी उसको!
ये कह कर वो खुद हंसने लगी.

कुछ देर बाद उसका ब्वॉयफ्रेंड आ गया.
अब मैं और निशा उसको उसके ब्वॉयफ्रेंड के साथ छोड़ कर दूसरी तरफ़ आ गए.

कुछ देर बाद मैं निशा से बोला- आज तो गरिमा ज़िंदगी के पूरे मज़े ले लेगी यार!
निशा बोली- हां.

अभी हम दोनों वो बात ही कर रहे थे कि हमें उन्ह आंह की आवाज आने लगी थी.

निशा मंद मंद मुस्कुराने लगी थी.
कुछ देर बाद सब शांति सी हो गयी.

मैं समझ गया कि उन दोनों की किस-विस चल रही होगी.
मैंने निशा से कहा- जा देख तो सही, कैसे चुप हो गए दोनों!

निशा ने उधर को जाकर देखा, तो वो हक्की बक्की रह गयी.
वो दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए थे और उनमें ज़ोरों की किस चल रही थी.

मैं तो पहले ही समझ गया था मगर मैंने निशा को गर्म सीन दिखाकर गर्म करने का सोचा था.

मैंने मौके पर चौका मारना ही ठीक समझा.

मैं छुपकर निशा के पीछे खड़ा हो गया और धीमे से बोला- ये अब नहीं रुकने वाले. आज प्यासे हैं दोनों!

निशा सब चुपचाप सुनती रही.
मैं समझ गया कि उस पर भी सेक्स सवार हो रहा है.

मैंने उसके पीछे से कंधे पर हाथ रख कर देखना शुरू कर दिया.
उसने कुछ नहीं कहा.

गरिमा और उसके ब्वॉयफ्रेंड को एक दूसरे से मुहब्बत करते देख कर निशा तपने लगी थी.

मैंने पीछे से अपनी पूरी बॉडी निशा की बॉडी से लगा दी.
वो कुछ नहीं बोली, बस उसने मुझे गुर्राकर देखा.

इस बार मैं डरा नहीं.
मुझे आज ये लग रहा था कि अगर आज कुछ नहीं किया तो फिर कभी नहीं हो पाएगा.

बस फिर क्या था.

निशा सामने की तरफ़ उनको देखने लगी.

मैंने निशा से कान में कहा- गरिमा कंडोम तो लाई होगी सेफ्टी जरूरी में करनी चाहिए उसे!

ये बात मैंने जानबूझ कर कही थी, जिससे निशा की सोच वहां तक चली जाए और वो सोचे कि ये दोनों क्या क्या करेंगे.

उसकी इस सोच से अपना रास्ता भी बन सकता था.
मैंने फिर से अपनी बॉडी में हल्की सी हरकत की और निशा के पीछे से अपना लंड उसकी गांड में रगड़ दिया.

उसने भी हल्के से अपनी गांड मेरे लंड पर घिसी.
उसी पल मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया.

अब निशा मुझे देखने लगी.
मैं उसको देखने लगा.

फिर मैंने निशा से आंखें हटा कर उससे गरिमा की तरफ़ देखने का कहा जिससे उसको मदहोशी चढ़ी रहे.

निशा ने मेरी बात सुनकर मुझसे नजरें हटा दीं और वो उन दोनों को देखने लगी.

तभी मैंने अपना लंड जो तम्बू बना खड़ा था, निशा की टांगों के बीच में लगा दिया.
वो समझ गयी पर अब वो कुछ नहीं बोली.

मैं आज उसे छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि उसका मूड कभी भी बदल सकता था और वो चली जा सकती थी.

मैं हल्के हल्के से लंड को आगे पीछे करने लगा.
वो भी साथ देने लगी.

इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी.
मैंने उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए.
वो बेहद गर्म हो रही थी.

उधर गरिमा की और उसके ब्वॉयफ्रेंड की चुदाई शुरू होने वाली थी.

गरिमा मेरी तरफ़ देख कर हंसने लगी और आंख मार कर इशारा करने लगी- लगे रहो तुम भी!

मैं भी स्माइल देकर निशा पर अपना ध्यान लगाये हुए था.
निशा ने आंखें बन्द कर ली थीं.

मैंने जल्दी ही अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा.
वो भी पूरा सहयोग दे रही थी.

मैंने उसको नीचे जमीन पर लिटा दिया और उसकी कुर्ती ऊपर करके उसके बूब्स पीने लगा.
क्या गजब के चूचे थे उसके!

अब मैंने हल्के से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया.
उस पर उसने मज़े में ध्यान नहीं दिया.

मैंने जैसे ही सलवार नीचे की, उसने एक हाथ से सलवार को पकड़ लिया.
मैंने कहा- आज मत रोको मेरी जान!

वो बोली- नहीं मेरा पहली बार है और मैंने सुना है कि पहली बार में दर्द होता है.
मैंने कहा- उधर देख, गरिमा को कुछ हुआ क्या? … हां हल्का सा होगा मगर फिर उसके बाद ही ज़िंदगी का सबसे अच्छा वाला मज़ा इसी में ही आता है.

वो मुझे देखने लगी और उसके हाथ ढीले पड़ गए.
मैंने सलवार उतार दी.

वो बोली- कंडोम तो तुम भी नहीं लाए हो शायद?
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं टेबलेट खिला दूँगा बाद में.

वो चुप हो गयी.
मैंने अपना काम शुरू कर दिया.

पहले उसकी बुर को अपने हाथों से सहलाया फिर अपने कपड़े निकालकर मैं भी पूरा नंगा हो गया.
वो मेरा लंड देख रही थी कि आज ये अन्दर जाएगा.

मैं अपना एक हाथ उसके बदन पर चलाता रहा, जिससे वो ठंडी ना हो जाए.
कभी उसके बूब्स, कभी उसकी बुर की फांकों पर उसे मज़े देता रहा.

मैंने उसको भी पूरी नंगी कर लिया.
वो बुर छिपाने लगी.

मैंने उससे कहा- टांगें खोल लो.
वो उन्ह उन्ह कर रही थी.

मैंने उसके हाथ हटाए और उसको फिर से किस करने लगा.
वो आंखें बन्द करके मजे लेने लगी.

तभी मैंने धीरे से अपने लंड पर थूक लगा कर उसकी बुर पर रख दिया.
वो लंड का अहसास पाते ही बोली- रुक जरा.
मैं रुक गया.

फिर उसने अपनी सील बुर पर भी थूक लगाया और बोली- आराम से करना.
मैंने हां बोला और लंड का टोपा उसकी बुर में घुसाने लगा.

बहुत ज़ोर लगाने के बाद लंड का टोपा अन्दर चला गया.
तभी वो चीखी, मगर मैंने एकदम से उसके होंठ अपने होंठों में लेकर उसे चीखने नहीं दिया.

कुछ देर ऐसे ही रुके रहने के बाद मैं आराम आराम से लंड अन्दर पेलने लगा.
कुछ ही देर में मैंने बाक़ी का लंड भी बुर के अन्दर पेल दिया.

वो दर्द से कराह रही थी. वो बोली- रुक जा साले … मैं मर जाऊंगी.
मैं बोला- कोई जल्दी नहीं है, आराम से करूँगा मेरी जान.

कुछ देर बाद जब उसको आराम हुआ, तब वो बोली- अब धक्के मारो आराम आराम से!
मैंने धक्के देने शुरू कर दिए.

अब उसको मज़ा आने लगा और वो भी चूतड़ों उठा उठा कर पूरे ज़ोर से चुद रही थी.
उधर गरिमा की और उसके ब्वॉयफ्रेंड की चुदाई खत्म हो गयी थी.
वो हमारा इंतज़ार कर रहे थे.

गरिमा को मैंने देखा, वो बहुत गौर से मेरे लंड को देख रही थी.
मैं अपने मज़े में लग गया.

मैंने स्पीड से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे. निशा भी अब अपनी गांड उठा कर पूरे मज़े ले रही थी.
हमारी चुदाई को क़रीब बीस मिनट हो गए थे.

निशा बोली- आंह मेरे अन्दर कुछ अजीब सा हो रहा है … और ज़ोर ज़ोर से चोदो.
मैं बोला- अब तुम झड़ने वाली हो.

तभी उसने मुझे जोर से कोली में भरा और झड़ गयी.
मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ायी और मैं भी फ़िनिश हो गया.

अब हम दोनों ठीक कपड़े करके नीचे आ गए.

गरिमा का ब्वॉयफ्रेंड चला गया.

वह मज़ाक़ में निशा से बोली- तू तो मना कर रही थी, अब क्या हुआ?

हम तीनों हंसने लगे.
निशा बोली- अब तो कर लिया, पर अब कभी नहीं करूंगी. अब शादी के बाद ही करूँगी.

गरिमा बोली- अब इस मज़े के बिना रह लेगी?
निशा हंसने लगी- यार ये बात तो है.
गरिमा बोली- यार राजा, मेरे ब्वॉयफ्रेंड ने ठीक से नहीं चोदा.

मैं गरिमा से मज़ाक़ में बोला- फिर मुझसे करवा लेती, मैं कुछ हेल्प कर देता.
वो बोली- हां तेरा लंड मस्त था.

वो हंसने लगी. उसकी आंखों में मेरे लंड के लिए आग दिख रही थी.
हम सब हंसते हुए बात कर रहे थे.

आपको मेरी ये रियल सील बुर की कहानी कैसी लगी. मुझे मेल करें.
[email protected]

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