लूडो का खेल चुदाई में तब्दील हो गया- 3

सेक्सी लड़की का नंगा बदन मेरे सामने काफी हद तक नुमाया हो चुका था. मैं उसके अंगों को भी छेड़ रहा था मगर सेक्स का खेल खुल कर शुरू होना बाक़ी था.

दोस्तो, मैं रॉकी आपका अपनी सेक्स कहानी में लूडो के खेल से चुदाई के खेल तक ले जाने वाली मस्त कहानी में पुन: स्वागत करता हूँ.
कहानी के पिछले भाग
लूडो के खेल के बहाने लड़की के कपड़े उतरवाए
में अब तक आपने पढ़ा था कि हमारे बीच सेक्स की स्थितियां बनने लगी थीं. वो सिर्फ़ ब्रा पैंटी में मेरे सामने पीठ करके बैठी हुई थी और मैं सिर्फ कच्छे में था.

अब आगे सेक्सी लड़की का नंगा बदन:

उसने अपनी ब्रा ठीक की और पैंटी को दोबारा ऊपर चढ़ाया.
मैंने भी फ़ोन में दोबारा गेम चलाया और फ़ोन को सामने रखने के लिए आगे हुआ.

फ़ोन रखने जाते हुए मैंने अपना हाथ उसकी बाजू के नीचे से जानबूझ कर आगे किया और उसके स्तन को छूता हुआ निकाला.

मेरा मुँह उसके कंधे से जुड़ गया और इससे पहले कि मैं वापस पीछे होता, मैंने उनके कंधे पर एक हल्का सा किस कर लिया.
वापस अपनी बाजू निकलते हुए मैंने दोबारा उसके स्तनों को छुआ और उन्हें हल्का सा दबा दिया.

उसने मेरी ओर मुँह घुमाया, पर कुछ कहा नहीं.
मैंने भी उसे अपनी चाल चलने को कहा.
हमारा गेम फिर शुरू हो चुका था.

चार से उसकी गोटी आगे बढ़ी, दो से मैंने अपना पासा आगे किया.

इस समय मैं उससे बिल्कुल सटकर बैठा हुआ था, जिससे मेरी छाती उसकी पीठ से लगभग जुड़ी हुई थी.
जरा सा हिलने पर हम दोनों आपस में रगड़ खा जाते थे.

उसके साथ खुलते हुए मैंने अपना चेहरा उसके कंधे के ऊपर ही रख लिया, जिससे कि मैं उससे बात कर सकूं.
इस समय तक हमारी कोई भी गोटी मुख्य केंद्र में नहीं जा पाई थी.

वो अपनी कोई भी गोटी जल्द से जल्द अन्दर पहुंचाना चाहती थी.
छह से उसने अपनी सबसे नजदीक वाली गोटी आगे बढ़ाई, तीन से मेरी भी एक गोटी उसके लिए आगे आ रही थी ताकि उसे रोक जा सके.

ये मेरे लिए चिंता वाली बात थी भी नहीं क्योंकि उसके लिए पहले ही मेरी एक गोटी तैयार बैठी थी.
दो से वो थोड़ा आगे बढ़ी लेकिन वो किसी बड़े नंबर का इंतजार कर रही थी जिससे वो लंबी छलांग ले सके.

पांच से मैं आगे बढ़ा.
उसके लिए अपनी गोटी आगे बढ़ाना जरूरी होता जा रहा था.

चार से उसने मजबूरी में अपनी गोटी आगे बढ़ाई और मुख्य केंद्र वाली रेखा के बाहर खड़ी हो गयी.
उसने अपनी आंखें बंद कर लीं.

मेरा आया तीन … और मैं खुशी में उछला- यह हहह हह.
उसने अपनी आंख खोली और वही पाया, जिसका उसे डर था.

‘ओह नो.’
वो झल्लाई.
मैंने कहा- मैंने बोला था न वो मत चल.

माहौल शांत था और मैं उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा.

थोड़ा रुककर वो सीधी हुई और उसने अपना हाथ पीठ पर ब्रा की तरफ किया. वो हुक खोलने ही वाली थी कि मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.

‘मैं मदद करूं.’ उसके कंधे पर होंठ रखते हुए मैंने कहा.

उसने चेहरा मेरी ओर किया पर इससे पहले कुछ होता, मैंने उसके हाथ पीठ से हटा दिए.
अपनी उंगली मैंने उसकी ब्रा हुक के नीचे की और पीठ से उठा कर हल्की फूंक मारी.

उसे थोड़ी ठंडक का अहसास हुआ, अपना पूरा हाथ उसकी ब्रा के नीचे किया और ब्रा के नीचे से पीठ से उसकी कांख तक हाथ फिराया.
उसे अच्छा महसूस हुआ और वो आगे को नीचे को झुक गई.

वापस आकर मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए. हुक खुलते ही मैंने दोनों हिस्से हाथ से पकड़े और झटका देकर उसे अपनी ओर किया.
फिर आगे बढ़ते हुए ब्रा को इकट्ठा करता हुआ मुट्ठी में भरता गया.

मैंने अपना चेहरा उसके बाएं कंधे पर रखा और मेरे हाथ उसके स्तन तक पहुंच चुके थे.
मैंने अपना हाथ उसके स्तनों के नीचे से आगे बढ़ाया.

जैसे जैसे मेरे हाथ उसके स्तन पर बढ़ रहे थे, उसका शरीर ढीला पड़ता गया.
उसने अपना सिर मेरे कंधे पर पीछे को रख टिका लिया.
उसके स्तन अब मेरे हाथों में थे.

तभी उसका शरीर मेरे ऊपर गिर पड़ा.
उसी पल मैंने उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए और किस करते हुए चाटने लगा.

जैसे ही मैंने उसके स्तनों को मुट्ठी में भरा, उसकी टीस निकल पड़ी ‘आम्म्म्म्म …’
उसने अपना चेहरा मेरी ओर कर लिया.

मैंने भी देर न करते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.

मैं उसके स्तनों को दबा रहा था और होठों को चूम रहा था.
मुझे उसके गुलाबी होंठों का अलग ही स्वाद मिल रहा था.
कभी मैं ऊपर का होंठ चूसता, तो कभी नीचे का.

नीचे मेरे हाथ उसके स्तनों को मसल रहे थे.
मैंने उसके स्तनों को अपने अंगूठे और साथ की उंगली के बीच में भरा और बाकी उंगलियों से उसके स्तनों के आस-पास मालिश की भांति उंगालियां फिराने लगा.

कभी उसके स्तनों को मुट्ठी में भर कर खींचता तो कभी दोनों स्तनों को हाथों के बीच में रख आपस में रगड़ देता.

वो भी अपनी कमर बीच बीच में ऊपर को उठा देती.
मेरे हाथ उसकी ब्रा के अन्दर ही थे क्योंकि वो अभी तक उतरी नहीं थी.

उसने अपने हाथ ब्रा के ऊपर ही रखे हुए थे. सबसे ऊपर उसके हाथ थे.
फिर उसकी ब्रा थी.
उनके अन्दर मेरे हाथ थे, जो उसके स्तनों को लगातार मसल रहे थे.

हम अभी भी किस किए जा रहे थे. हम किस में मशगूल थे कि तभी मैंने अपनी उंगलियां उसके निप्पल के गिर्द फिराईं और निप्पल को उनमें फंसा लिया.

उसे थोड़ी टीस सी लगी और मुँह से ‘उम्म मम …’ की आवाज आई.

मैंने भी किस के जोश में उसके निप्पलों को रगड़ भींच दिया.
एकदम से उसने झटके से अपनी किस तोड़ी और मेरे हाथ अपने स्तनों से हटा दिए.

वो उठ बैठी ओर खुद को संभालते हुए ब्रा निकाल कर रख दी.
मैं भी ठीक से बैठ गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो.

उसने अपने बालों से स्तनों को ढका और चुपचाप बैठ गयी.
हम कुछ देर इसी तरह बैठे रहे.

वो अपने बालों से खुद को ढक रही थी और मैं चुपचाप उसे देख रहा था.

हमारे बीच की चुप्पी तोड़ते हुए उसने कहा- आगे खेलें अब!
मैंने हामी भरी और फ़ोन आगे रखा.

चार से गेम शुरू करते हुए उसने पासा चला.
मैंने भी एक से शुरूआत की.

छह से उसने अपनी गोटी आगे चलाई, चार से मैं भी आगे बढ़ा.

इसी तरह हम कुछ देर गेम में मगन रहे.
वो ध्यान से गेम खेल रही थी तो उसकी गोटी काटने का मौका ही नहीं मिल पा रहा था.

इस कारण मैं अपनी गोटियां जल्द से अपने पाले में पहुंचाने की जल्दी करने लगा.

इसी बीच मैंने उसे देखा तो वो नंगे बदन में कमाल लग रही थी.
उसने स्तन उसकी हर हरकत पर हिल रहे थे, जिससे मेरा लंड उफान मार रहा था लेकिन मेरे पालथी मारकर बैठने से वो ऊपर नहीं उठ सकता था.

इस वजह से मैं कोई अनचाही घटना से बचा रहा.
इस बीच मैंने देखा उसके निप्पल सख्त होकर खड़े हो गए थे, जिन्हें छिपाने में उसके बाल असमर्थ थे.

सर से नीचे आते बालों में से उसके निप्पलों का उठान देखकर कोई भी पागल हो सकता था.
छह-चार से उसकी चाल जारी थी.
तीन से मैं अपनी गोटी आगे बढ़ा रहा था.

बीच बीच में मैं उसे देख रहा था और उसके हिलते स्तनों को भी.
इसी बीच उसने गोटी चलाते हुए खुद को ज्यादा ही हिला लिया, जिससे उसके बाईं तरफ के बाल स्तन के ऊपर से हट गए.

अब उसका नग्न स्तन उसके बालों के बीच से साफ देखा जा सकता था जिस पर निप्पल कड़क हो रखा था.

मैं सिर्फ उसके स्तन को ही देख रहा था, मुझे कोई प्रतिक्रिया न करते देख उसने मेरी तरफ मुँह घुमाया और मुझे उसके स्तन को देखते हुए पाया.

झट से उसने अपने स्तन पर हाथ रखा और थोड़ा घूम गई.
मैंने भी खुद को पीछे किया और अपनी चाल चली.
पांच से मैं आगे बढ़ा.

तभी एक मौका बना, उसकी एक गोटी मेरे पाले को पार करने को आ रही थी.
चूंकि मैंने अपनी एक गोटी अभी पाले के बाहर ही रखी थी तो उसे मैं जाने नहीं देना चाहता था.

तीन से उसने अपनी अन्य गोटी को चला, पांच से मैं भी किसी अन्य गोटी को चलने लगा.
छह-तीन से उसने अपनी मेरे पाले के पास वाली गोटी आगे चल दी.

मेरे लिए यही एक मौका था.
चार से मैं भी उस गोटी को चलाने में लग गया.

चूंकि हमारा मोबाइल उसके आगे पड़ा हुआ था तो मैंने अपने हाथ उनकी बाजू के नीचे से निकलता था.
बार बार आगे पीछे जाने से बचने के लिए मैं उससे चिपक कर बैठा हुआ था और मेरे हाथ उसकी बाजू के नीचे से आगे किए हुए थे.

अपनी बारी चल कर मैं अपने हाथ उसकी नंगी जांघों पर रख लेता था और उसके खेल के साथ उसके मांस को सहलाता, मसलता, कभी कभी भींच भी देता था.

पांच से वो लंबी छलांग मारकर आगे निकल गयी, दो से मैं उसके पीछे ही था.

अपनी चाल चल कर मैंने अपना हाथ उसकी जांघ से कुछ ऊपर पैंटी के करीब रखा और उंगली से उसकी चूत को सहलाया.
उसने एक ठंडी सांस ली और तुरंत मेरा हाथ उठा कर अपनी जांघ पर रख दिया.

एक से उसकी रफ्तार थोड़ी रुकी, तीन से मैं करीब जाने की चेष्टा करने लगा.

चार से उसने खुद को थोड़ा आगे निकाला, छह-पांच से मैं भी एक लंबी छलांग मारकर उसके करीब जा पहुंचा.

उसकी सांसें थम गई थीं, जब मैंने अपनी गोटी उसके बिल्कुल दो घर पीछे रखी.

वो जल्दी से अपनी चाल चल कर दो से आगे बढ़ी, मेरा आया चार … और बन गया फिर से एक मौका, जिसका मैं इंतजार कर रहा था.

‘ओह नहीं ई ई.’
कहते हुए उसने मेरी जांघों पर दो-तीन मुक्के मारे, जो उसकी झल्लाहट दर्शा रहे थे.

उसने एक पल खुद को ऊपर से नीचे देखा और खुद को सिर्फ पैंटी में पाया.
उसने थोड़ा मुँह सा लटकाया और उठने को हुई.

उसने कुछ सोचा ओर वापस बैठ गयी.
‘मैंने नहीं उतारनी.’ कहकर वो झल्लाई.

मैं एक पल को चौंका और बोला- क्या मतलब?

‘मैंने और कुछ नहीं पहना, अब मैंने नहीं उतारनी बस … तू चाहे और कुछ करने को बोल दे!’
उसने फरमान सुनाते हुए कहा.

मैंने कहा- ठीक है, ये वाला टास्क उधार रहा, जब मौका होगा तब बता दूंगा.
उसने हामी भरते हुए अपने ऊपर आयी मुसीबत को टाला.

मुझे उसकी इस हरकत पर गुस्सा आ गया और बाद में हिसाब करने की सोच ली.
लेकिन मैं जल्दबाज़ी भी नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने रुकना ही सही समझा.

उसने खुद को ठीक किया और मेरे सामने खुली हुई कैंची की तरह बैठ गयी जैसे जापानी लोग बैठते हैं.

अब उसकी दोनों टांगें विपरीत दिशा में खुली हुई थीं और वो गांड के सहारे बेड पर बैठी थी.
उसे देखकर मैंने भी उसी तरह बैठना सही समझा. अब मेरा लंड उसकी गांड के नजदीक आ गया और यही मन कर रहा था कि उसी समय उसे कमर से पकड़ कर उसकी गांड अपने लंड पर टिका दूँ.

वहां नीचे मेरा लंड सख्त होकर दर्द करने लगा था क्योंकि उसे अभी तक अपने रंग दिखाने का मौका नहीं मिला था.
हमने गेम आगे खेलने का फैसला किया.

चार से वो आगे बढ़ी, एक से मेरी गोटी आगे बढ़ी. हमारा गेम अच्छे से आगे बढ़ रहा था.

इसी बीच मेरी एक गोटी मुख्य केंद्र के मुहाने पर जा पहुंची थी.

तीन से उसने अपनी गोटी आगे बढ़ाई, चार से मैं अपनी मंजिल के पास पहुंचने वाला था.
उसे अच्छी तरह से पता था कि अगर मेरी गोटी पहले पहुंची तो मैं कोई भी टास्क दे सकता हूँ.
पर अब वो कर कुछ नहीं सकती थी.

दो से उसने अपनी गोटी आगे बढ़ाई, दो और आए और ये मैं मुख्य केंद्र में पहुंचने वाला पहला था.

मैं खुशी में झूम उठा और मैंने खुशी में उसके कंधे पकड़ कर उसे अच्छे से हिला दिया.
वो थोड़ी सी झल्लाई, फिर रुआंसी सी होकर मुझसे बोली- अब क्या करूं?

मैंने उसकी तरफ देखा, वो मुझे ही देख रही थी क्योंकि वो जानती थी कि उसने पिछला टास्क भी नहीं किया था.

मैंने कहा- अब क्या करना है?
उसने मेरी ओर देखकर कहा- कुछ भी … बस मैं ये नहीं उतारने वाली.
उसने अपनी पैंटी की ओर इशारा करते हुए कहा.

मैंने उसकी नजरों में देखा, उसने मेरी तरफ देखा.
मैंने उसका टॉप उठाया और उसे पहनने को कहा- ये ले, कुछ मत उतार इसे वापस पहन ले.

टॉप पकड़ते हुए उसने हैरानी भरी निगाहों से देखा और मुझे घूरा, पर ये सोचकर कि कहीं मैं कुछ और न कह दूँ, उसने झट से हामी भर दी.
कुछ न समझ आने सी सूरत में जल्दी से अपना टॉप पहन लिया.

उसने मुझे थैंक्यू बोला और मैंने भी मुस्कुराते हुए सिर हिलाकर जवाब दिया.

वो सकुचाती हुई अपनी जगह से थोड़ा सा ऊपर उठी और मेरे करीब लग कर बैठ गयी.
उसकी कोमल गांड का स्पर्श पाते ही मैं खुश हो गया, अब उसके स्तन ठीक मेरी आंखों के सामने थे.

हमारा गेम फिर शुरू हो गया.
एक से उसकी गोटी आगे बढ़ी, तीन से मैं भी आगे बढ़ा. हमारा मुकाबला कड़े मोड़ पर था.

मैं अपनी गोटियां जल्द से जल्द केंद्र में डालना चाहता था और वो भी अपनी गोटियां बचाती हुई जीतना चाहती थी.
तीन से उनकी गोटी आगे बढ़ी, चार से मैं भी किस्मत आजमा रहा था.

अब वो मेरे बिल्कुल गोद में ही थी, उसकी जांघों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था.
बीच बीच में मैं गोटी चलते हुए अपना हाथ उसकी जांघ पर रख देता, या कभी कमर पर रख देता.

पहले तो उसने एक दो बार मुझे हटा दिया, लेकिन फिर नजर अंदाज़ कर दिया.
गेम के बीच बीच में उसका ध्यान भटकाने के लिए मैं उसे चिढ़ाने लगा.

मेरे बीच में बोलने पर वो मुझे मुक्का मार देती.
एक दो बार मैंने उसके पेट पर भी हाथ रखा, कभी वो फ़ोन उठाने के लिए नीचे झुकती, तो मैं अपना हाथ उसके पेट पर रख देता था.

यूँ ही खेलते हुए मैंने अपने होंठ उसके कंधे पर रखे, जिससे बीच बीच में मैं उसे चूमता और कभी कभी दांत से काट भी ले रहा था.

मेरे काटने पर वो मुझे मार भी रही थी, लेकिन मैं फिर उसे किसी और जगह पर चूसने लगता.

यहां मुझसे एक गलती हो गयी.
मैंने ध्यान ही नहीं दिया कि मेरी एक गोटी उसके पाले में जा पहुंची और कट गई.

जैसे ही मेरी गोटी कटी, वो खुश होती हुई मुझे चिढ़ाने लगी और मैं मुँह लटकाए समझने की कोशिश करने का नाटक करता रहा कि कैसे हुआ यह.

अब चूंकि मेरी बारी कपड़ा उतारने की थी, तो मैंने ‘ठीक है …’ कहते हुए शुरूआत की.
जैसे ही मैं खड़ा हुआ कच्छे में लंड उफान मारता हुआ ऐसे खड़ा हुआ था, जैसे अभी सब कुछ फाड़कर निकल जाएगा.

उसने पीछे मुड़कर देखा तो मेरा लंड पूरे उफान मारते हुए कच्छे में टेंट बनाकर बैठा था.
मेरा खड़ा लंड देख वो वापस मुड़ गई.

मेरे आगे वो बैठी थी और उसे टॉप के नीचे से उसकी पैंटी में गांड साफ झलक रही थी.

मन तो किया कि वहीं झुका कर नंगी करके काम शुरू कर दूँ … पर नहीं, उसमें मजा नहीं आता.

एक ही झटके में मैंने कच्छे से खुद को अलग कर फेंक दिया, आजाद होते ही लंड सांप की तरह फुंफकारने लगा.

मैं अब पूरा नंगा हो चुका था, उसने थोड़ा चेहरा घुमा कर पूछा- हो गया?
मैंने बोला- हां.

पीछे होकर वो मेरी गोद में मुझसे चिपक कर वापस बैठ गयी.
मैंने अपना लंड उसकी गांड के नीचे सैट किया. उसे मेरे खड़े लंड का अहसास हो चुका था, पर कुछ नहीं कहा.

हमने गेम पुनः शुरू करने पर ध्यान दिया.
छह-तीन से उनकी गोटी आगे बढ़ी और तीन चार से मैं आगे बढ़ा.

गेम खेलते हुए मेरा हाथ उसके पेट पर ही रहता और एक हाथ उसकी जांघ पर.
मैं उसकी जांघ सहला रहा था और कभी कभी उसे भींच भी देता था.

तभी एक हाथ उसके टॉप के अन्दर से स्तन पर रख सहलाने लगा.
उसके स्तन से खेलने में मजा आ रहा था, मुलायम स्तनों को दबाने से मेरा लंड और कड़क हो गया था.

कुछ देर गेम में यूँ ही गुथे रहने के बाद फिर मैंने उसकी एक गोटी काट दी, जो भागने की फिराक में थी.

वो फिर झल्ला उठी.
एक बार फिर उसने मेरी ओर देखा.

मैं हंस रहा था.
मेरी हंसी पर उसने अपनी कोहनी से मेरे पेट पर वार किया.

अब जबकि मैंने गोटी काटी थी तो अब आदेश देने की बारी मेरी थी.

मैंने कुछ पल उसे देखा, पर मुझसे रहा नहीं गया और बाजू से उसके पेट को कस कर जकड़ गर्दन पर किस कर दिया.
वो सिहर गयी और ‘उम्म मम …’ कह उठी.

मैंने आगे बढ़ उसके पेट पर सहलाया और दोनों हाथों से उसके स्तन धीरे से सहलाया.
वो मेरे हाथों को थाम उन्हें छुड़ाने लगी, मगर में उसके कंधे से टॉप हटा कर वहां से लेकर गर्दन पर किस करने लगा.

उसके कड़क निप्पलों को टॉप के ऊपर से ही उंगली से सहलाते हुए उसे अपने ऊपर गिराया.
गर्दन से उसके गालों पर किस किया. बैठे ही मैंने उसे नीचे की ओर झुकाया और उसकी गांड को हाथ से थाम होंठ रखकर चूम लिया.
दूसरा हाथ उसकी जांघ पर रख सहलाया.

फिर एक पल मैंने उसकी आंखों में झांका और उसकी पैंटी को उतार कर थोड़ा नीचे खिसका दिया.
पैंटी पर हाथ पड़ते ही वो चौंक कर उठ खड़ी हुई ओर पैंटी ऊपर करने लगी.

उसी पल मैंने उसके हाथ पकड़ लिए और से अपनी ओर करके होंठों पर होंठ रख कर किस करने लगा.

कभी उसके ऊपर के होंठों को पीता, तो कभी नीचे वाला.
मुझे उसे किस करने में मजा आ रहा था.

धीरे धीरे वो भी साथ देने लगी और उसके साथ किस में अब हमारी जीभें भी शामिल हो गईं.

कभी मैं उसकी जीभ चूसता, तो कभी वो मेरी.
उसे भी किस में मजा आने लगा था.

इसी बीच मैंने किस करते हुए अपनी एक आंख खोल कर उसे निहारा. उसका चेहरा एकदम शांत था और होंठ किस में शामिल थे.

मैं मन ही मन खुश हुआ और उसकी पैंटी को और नीचे खिसका दिया.

फिर आंख दोबारा बंद कर किस में शामिल हुआ.
मैंने अपना एक हाथ उसके सिर के पीछे रख उसे थामा हुआ था और दूसरा हाथ उसके टॉप के भीतर उसके स्तन को सहलाने लगा.

जोश में आकर मैंने उसके स्तन को जोर से दबा दिया जिससे उसे दर्द हुआ पर होंठ बंद होने से सिर्फ ‘ऊह..हह’ की आवाज निकाल पा रही थी.

कुछ देर उसके पेट को सहलाया और नीचे ले जाते हुए चूत के दाने को छू हल्का सा दबाया.

उसने झट से मेरा हाथ थाम मुझे रोक लिया और मुझे खुद से दूर कर दिया.

उसके हटते ही मैं संभल कर बैठ गया और उसने पैंटी को पहनना चाहा.
उसे रोकते ही मैंने उसकी दोनों बाजू एक हाथ से जकड़ ली.

मैं फिर से नीचे बढ़ा और घुटनों के पास से पैंटी को उतारते हुए बाहर निकाल दी.
जैसे ही मैंने उसकी पैंटी को ऊपर से उतारा, उसने हाथ छुड़ाते हुए कहा- नहीं वहां कुछ नहीं करना.

पर मैंने उसकी न सुनते हुए चूत के किनारों पर उंगली को फिराया और हल्का सा चूत को दबा दिया.

‘आह हह..हह …’ कराहती हुई उसने हाथ छुड़ाने की कोशिश की.
‘मत कर प्लीज …’
उसने बोलते हुए गुजारिश की.

उसकी चूत हल्की गीली हो गयी थी और उस सेक्सी लड़की का रस मेरी उंगली में भी थोड़ा लग गया था.

मैंने उंगली उसे दिखाते हुए उसके होंठों पर उसे लगा दिया.
उसी पल उसने अपने हाथ छुड़ाए और होंठ पौंछ लिए
‘छी..ई.ई …’

दोस्तो, अब लूडो का खेल अपना रंग बदलने लगा था. सेक्स कहानी अब अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने लगी थी.
उसे भी मजा आने लगा था और मुझे भी.

हम दोनों की चुदाई की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
इसमें आप सबको सेक्सी लड़की का नंगा बदन कितना मजा दे रहा है, ये आप मुझे मेल और कमेंट्स से जरूर बताएं.
[email protected]

सेक्सी लड़की का यौन विवरण का अगला भाग: लूडो का खेल चुदाई में तब्दील हो गया- 4

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