लूडो का खेल चुदाई में तब्दील हो गया- 1

लड़का लड़की सेक्सी कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी सहकर्मी लड़की को सेक्स के लिए चाहने लगा. हम रूम मेट भी बन गए और मैं मौक़ा तलाश रहा था.

दोस्तो, कैसे हैं आप सब. ठीक ही होंगे, उम्मीद है आपको मेरी पिछली सेक्स कहानी
गर्लफ्रेंड की चुदाई की अधूरी तमन्ना
पसंद आई होगी.

इस बार जो किस्सा मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो पिछली कहानियों से कुछ अलग है.
मैं आशा करता हूँ कि आप इस लड़का लड़की सेक्सी कहानी का भी खूब आनन्द लेंगे.

मैं जहां काम करता हूँ. वहां मेरी एक लड़की से जान पहचान हुई.
धीरे धीरे हमारी बातें होती गईं और हमारे बीच काफी अच्छी दोस्ती हो गयी.

अब हम दोनों साथ में घूमने फिरने लगे थे.
लेकिन कभी मेरा ध्यान कुछ गलत इरादों की तरफ नहीं गया.

हालांकि मैं उसे काफी पसंद करता था पर मैंने कभी उसे बताया नहीं था.
चूंकि हम अच्छे जानने वाले हो गए थे तो हम साथ ऑफिस आते जाते थे.

अब हालत ये थी कि हम दोनों एक साथ ही एक फ्लैट में रहने लगे थे.

हमने एक फ्लैट किराए पर लिया हुआ था जिसमें मैं, वो और एक अन्य लड़की साथ में रहती थी.

इस बीच कुछ दिनों के लिए उसे अपने घर जाना पड़ा तो वो छुट्टी लेकर घर चली गयी.

मुझे उसके बिना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था.
मैंने जैसे तैसे दिन काटे.

कुछ दिन बाद वो दिन भी आ गया, जब उसे वापिस आना था.

मैं सुबह से ही उसके आने का इन्तजार कर रहा था, ऑफिस भी नहीं गया.

कुछ देर बाद उसका फ़ोन आया- क्या कर रहा है?
उसने पूछा, तो मैंने कहा- कुछ नहीं तेरे ही फ़ोन का इंतजार कर रहा था, कहां है तू? जल्दी आ.

जवाब में उसने कहा- बस घर के पास वाले बस स्टॉप पर पहुंचने वाली हूँ.
‘मैं अभी आया …’ कहकर मैंने फ़ोन काट दिया और जल्दी से तैयार होकर बाहर निकल गया.

रास्ते में मैंने मेडिकल की शॉप से एक कंडोम ले लिया क्योंकि मुझे पता था कि अपनी रूममेट इस समय ऑफिस में होगी.
कुछ ही देर मैं घर के पास के बस स्टॉप पर जा पहुंचा, जहां वो पहले से ही खड़ी थी.

मुझे देखते ही उसने बोला- कहां रह गया था यार, कितनी देर से खड़ी हूँ मैं!
मैंने जाते ही उसे धीरे से गले लगाया और बैग उठाकर उससे चलने को बोला.

करीब दस मिनट में हम दोनों फ्लैट के सामने खड़े थे.
मैं अपनी इस दोस्त के बारे में बता दूँ.

उसका कद मंझले आकार का है और रंग गोरा है. उसके स्तन इतने अच्छे आकार के हैं, जिन्हें देखकर कोई भी उन्हें हाथों में भरना चाहे. उसकी गांड एक मस्त लड़की की भांति गोल है.

मेरी दोस्त में वो सब कुछ है, जिसे देखकर कोई भी उसमें खो जाए.
फ्लैट में पहुंचते ही हमने दरवाजा बंद किया और राहत की सांस ली.

मैंने शरारत करते हुए उसके गाल खींच दिए, जिसका उसने हंसकर जवाब दिया.
मैं सीधा जाकर बिस्तर पर गिर पड़ा और वो अपना सामान ठीक करने में व्यस्त होने लगी.

वो इधर उधर घूम घूम कर अपना सामान सही ठिकाने पर रख रही थी और मैं उसे घूमते हुए देख रहा था.

नहीं नहीं झूठ नहीं बोलूंगा … मैं सिर्फ उसे देख रहा था कि चलने से उसके गोल स्तन ऊपर नीचे थिरक रहे थे, जो पल भर में ही किसी का भी मन डोला दे.
आज उसने जींस और टॉप पहना था, तो जींस में से उसकी पैंटी की किनारी की रेखाएं साफ उभर कर आ रही थीं, जिन पर मेरी निगाह जा रही थी.

वैसे तो मैं उसे हर रोज देखता ही हूं, पर आज मेरा मन तो किया कि उसे वहीं बिस्तर पर गिरा लूं, लेकिन कहीं वो गुस्सा न हो जाए, ये सोचकर खुद को संभाल लिया.

लेकिन नीचे पैंट में मेरा हथियार बेकाबू निकलने को हो रहा था, पर अफ़सोस!

अपने काम से फुर्सत पाकर वो मेरे साथ बेड पर पीठ के बल लेट गई.
मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई क्योंकि इस तरह लेटने से अब मैं उसके स्तन साफ देख पा रहा था.
सफेद दूध से खिलते हुए.

कुछ देर में उसने अपनी पोजीशन चेंज करते हुए पेट के बल लेटकर कोहनी बेड पर टिका अपना चेहरा हाथों के बीच भरकर लेट गयी.
चूंकि उसने टॉप पहना था जो गले से थोड़ा ज्यादा खुला था.

अब मैं उसके स्तनों को और भीतर तक देख पा रहा था, जिन्हें उसकी सफेद ब्रा ने जकड़ा हुआ था.
उसके मोटे से स्तन, जो उसके भार के नीचे दबे हुए थे … मुझसे आजाद करवाने को पुकार लगा रहे थे.

लेकिन मैं सिवाए देखने के कुछ नहीं कर सकता था.

‘बोर हो रहा है क्या?’ उसने मुझसे पूछा.
मैंने कहा- क्यों क्या करना है!
‘चल गेम खेलते हैं.’

वो बोली, तो मैंने पूछा- कौन सा गेम?
‘लूडो खेलते हैं.’

मैंने कहा- लूडो?
उसने जवाब दिया- हां.
‘चल ठीक है, बोर होने से तो अच्छा ही है.’

उसने अपने फ़ोन में लूडो गेम ओपन कर दिया और मुझे दिखाती हुई बोली- देख मेरा रिकॉर्ड, मैं अभी तक किसी से नहीं हारी … अपने घर में और अपनी सभी सहेलियों को हराया है मैंने.
मैंने कहा- ठीक है, मैं खेल कर देखता हूं. आज तो तू हारी बस देखती जा.

‘अच्छा, लगा ले फिर एक गेम की शर्त, अभी पता चल जाएगा!’
उसने चुनौती भरे स्वर में कहा, तो मैंने भी अपनी तैयारी करते हुए कहा- ठीक है चल फिर आ जा.

उसने अपने लिए हरी गोटियां चुनी और मैंने नीली.

वह अपनी बारी चलने ही जा रही थी कि मैंने उसे रोका- पहले ये तो बता, जीतने वाले को क्या मिलेगा?
‘ह्म्म्म …’
उसने थोड़ा सोचकर बोला- कुछ भी नहीं.

मैंने कहा- फिर क्या मजा आएगा खेलने का … जब जीतने वाले को कुछ मिलना ही नहीं है. ऐसे तो और बोर हो जाएंगे.
‘फिर क्या करना है?’
उसने पूछा.

तो मैंने कहा- कुछ रूल्स चेंज करते हैं. अगर मंजूर है तो बता?
वो बोली- जैसे क्या?

मैंने नाटक करते हुए कहा- नहीं तू गुस्सा करेगी, रहने दे.
उसने जोर देते हुए कहा- तू बता, कुछ नहीं होता … नहीं होती मैं गुस्सा.

मैंने कहा- सुन, हमारे पास 4-4 गोटी हैं, खेलते हुए जिसकी भी गोटी कटी, वो अपने शरीर से एक कपड़ा उतारेगा. इसी तरह जिसकी गोटी कटती रहेगी, वो कपड़े उतारता जाएगा.

इतना सुनते ही उसने कहा- नहीं बिल्कुल नहीं, मैं नहीं खेलती, ऐसे सिंपल खेलना है तो खेल … नहीं तो रहने दे.
मैंने उसे समझाने के लिए उसके पास गया और बोला कि देख सिंपल खेलने में कोई मजा नहीं आएगा, कुछ ट्विस्ट तो होना ही चाहिए.

इतना कहते हुए मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और टॉप को कंधे से थोड़ा गिरा कर उसकी ब्रा को छूते हुए गिनती गिनने लगा.

एक-दो-तीन और कंधे पर से नीचे आकर उसकी कमर से टॉप को थोड़ा उठा दिया. अपनी दो उंगालियां उसकी जींस के अन्दर डालकर उसकी पैंटी पकड़ ली.

अपने अन्दर के हवसी को जगाने के लिए उसकी मुलायम कमर का अहसास ही मेरे लिए काफी था.
मेरा मन तो किया कि उसी समय कमर के साथ खेलने लग जाऊं, लेकिन अभी तो समय किसी और खेल का था.

जैसे ही मैंने उसकी पैंटी पर हाथ लगाया, उसने झटके से मेरा हाथ जींस से निकालकर बाहर कर दिया.
मैं, जैसे कुछ हुआ ही न हो, वैसे नाटक करते हुए उसे गिनती बताने लगा.

‘देख तूने पूरे पांच कपड़े पहने हुए हैं और मैंने कुल चार … तो इस हिसाब से तेरे पास गेम में जीतने के ज्यादा चांस हैं.
उसने धीरे से सोचते हुए बोला- नईईई.

मैंने उसे उकसाते हुए कहा- तू तो चैंपियन है, तो तू तो जीत ही जाएगी. फिर इतनी चिंता क्यों, अपने पर भरोसा नहीं है क्या? और इस टाइम है ही कौन हमारे अलावा, जो देखेगा. तो सोच ले मस्त गेम चलेगा, मजा भी आएगा.

उसने कुछ सोचा और कहा- हां कोई है तो नहीं जो देखेगा, हम दो ही तो है यहां. चल ठीक है.

मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा कि मेरी इच्छा पूरी होने जा रही है.
फ़ोन में गेम खुल गया था, बस बारी थी तो गोटी चलाने की.

शुरू करने से पहले मैंने कहा- गेम में नो चीटिंग, यह जो होगा सिर्फ हमारे बीच रहेगा, तो टेंशन फ्री होकर खेलेंगे.
उसने हामी भरते हुए पहली बारी चलने की शुरूआत की.

पहले दो चांस में गोटी बाहर नहीं निकली.
अब मेरी बारी थी तो मैंने पासा फैंका.

मेरा चार और उसका छह आया.
इस बार उसकी किस्मत चल पड़ी और वो खुश हो गयी.

दो से उसकी गोटी आगे बढ़ गयी. मैं अभी भी अन्दर ही पड़ा था.

उसके पांच आते ही उसने कहा- आज भगवान भी मेरे साथ हैं. तेरी गोटी बाहर ही नहीं आ पाएगी.
मैंने खुश होते हुए अपनी चाल चली.

इस बार मेरी गोटी बाहर आ ही गयी. फिर अगली बार में तीन आया.

मेरी गोटी बाहर आते ही उसने बोला- जीतना तो मुझे ही है, देख लियो.
मैंने भी पलटकर जवाब दिया- हां देखते हैं.

इसी तरह हमारा गेम कुछ देर चलता रहा.
हमारी गोटियों के दरमियान काफी जगह खाली थी. मैं तो सिर्फ उसकी ओर देख रहा था, जो अपने आपको बचाने के लिए खेलने में व्यस्त थी.

जब भी वो अपनी चाल चलने को नीचे झुकती, तो उसके टॉप से उसके गोल स्तन साफ दिखते थे, जो उसकी हलचल पर उसके साथ ही झूलते और हिलते थे.

मैं इसी दृश्य को देखकर खुश होता रहा. जब तक उसकी गोटियां मेरे पाले में और मेरी गोटियां उसके पाले के नजदीक न पहुंच गईं.

फिर वो समय आ ही गया, उसकी एक गोटी काफी तेजी से आगे बढ़ती हुई आ रही थी, जिसे वो जल्द मेरे पाले से निकलना चाहती थी.

चार आते ही वो मेरे सुरक्षित स्थान वाले डिब्बे से दो घर पीछे आकर रुक गयी.
उसी समय मेरा छह आ गया और मैंने अपनी एक गोटी बाहर निकाल ली.

अभी भी मेरी ही चाल थी, तो मेरा सिर्फ एक आया और मैंने वही गोटी आगे बढ़ा दी.
उसने हाथ जोड़कर भगवान का नाम लिया और चाल चली.

उसका पहले छह … फिर दो आया.
वो भागकर मेरे से आगे पहुंच गयी.

मैंने उसकी तरफ देखा, वो सिर्फ मोबाइल की तरफ देख रही थी.
उसने चाल खेली. मेरा पांच आया और उसका खेल खत्म.

उसके चेहरे का रंग उड़ गया क्योंकि उसकी गोटी कट गई थी.
चूंकि अब पहले कपड़े उतारने की बारी उसकी थी तो मैंने कोई भाव न दिखाते हुए कहा- भगाने की क्या जरूरत थी, अच्छी चली तो थी तू, लेकिन क्या हो सकता था.
अन्दर से मैं काफी खुश था.

उसने बेचारगी भरे अंदाज से मेरी ओर देखा.
मैंने उसके चेहरे के भाव देखते ही चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया.
चंद पलों में आवाज आई- चल आगे खेल.

मैंने एक पल को उसे देखा तो देखता ही रह गया.
उसके भरे से स्तन मेरे सामने थे, जो सफेद रंग की ब्रा में और मस्त चमक रहे थे.

उसकी ब्रा उन्हें संभालने में असमर्थ हो रही थी. उसके जरा सा भी हिलने से उसके स्तन भी उसके साथ हिल जाते. और मेरा लंड भी तन जाता.
मुझे इस तरह घूरते देख उसने अपनी बांहों से अपने स्तनों को ढकना चाहा.

तभी मैंने खेल में एक मौका पाया.
मैं अपनी जगह से चलकर आगे हुआ और उसके सर की तरफ बढ़ता हुआ उसके करीब चला गया.

मुझे आगे आते हुए देख उसने कहा- अब क्या?
मैंने भी शरारत करते हुए अपने हाथ उसके स्तनों की ओर बढ़ा दिए.
उसने खुद को ओर सिकोड़ लिया.

आगे बढ़ते हुए मैं अपने हाथ उसके बालों के पीछे ले गया और बालों से रबर खींच ली.
फिर उसके बालों को दो हिस्सों में बांट उसके कंधों से आगे गिरा दिए.

बालों को कंधे से गिराते हुए मैं भी उनके संग हाथ नीचे ले आया. मेरे हाथ उसके शरीर से छूते हुए नीचे आ रहे थे.

उसके स्तनों पर आकर जानबूझकर मैं उसके बाल ठीक करने के बहाने उन्हें छूने ही वाला था कि उसने बीच में पड़ते हुए खुद ही बाल वहां टिका दिए.

अब उसने मेरी ओर देखा, मैं उसकी तरफ देखते ही कहा- ये ले, अब कुछ नहीं दिखेगा, गेम पर ध्यान दे. मैं कुछ नहीं देख रहा.
उसने पतली सी आवाज में बोला- थैंक्यू और अब अपनी चाल चल.

अरमान टूटने के बाद मैं अपनी जगह जाकर बैठ गया और गेम सैट किया.

अब बारी मेरी थी, तो चार से मैंने अपनी गोटी आगे चली.
वो खुद को छिपाती हुई गेम खेलने लगी.

तीन से उसने अपनी चाल चली.
अभी चाल चलते हुए तीन मिनट भी नहीं हुए थे कि मेरी गोटी खतरे में आ गई.
उसकी गोटी काटने की चक्कर में मैंने गलत गोटी को टच कर दिया जिसे मोबाइल ने स्वीकार करते हुए उसकी गोटी से आगे खड़ा कर दिया.

मैं अभी अफसोस मना ही रहा था कि तीन आते ही मेरी गोटी मेरे पाले में वापस चली आयी.
मैंने उसकी ओर देखा, तो उसने कहा- चलो चलो …
उसने जीभ चिढ़ाई लेकिन कर क्या सकते थे.

सो मैंने अपनी शर्ट निकालकर साइड में रख दी.
‘बहुत नाइंसाफी है.’
ये कहकर मैंने अपनी चाल चली.

पांच से एक गोटी आगे बढ़ाई, दो से उसने अपनी एक गोटी को महफूज़ कर लिया.

अब चूंकि दोनों के ही एक कपड़े उतार चुके थे और वो गेम के साथ थोड़ा सहज हो गयी थी.

मैंने गलत तरीके से खेलना शुरू किया.
गलत तरीके से मतलब सभी कोनों में अपनी गोटियां फैला देना और इंतजार करना!

ऐसी तरह खेलते हुए हमें दस मिनट बीत गए.
इस समय मेरी सारी गोटियां अपने से उसके पाले के फासले में महफूज़ जगहों पर बैठा दीं.

एक गोटी, जो सबसे पहले थी, लालच के लिए चल दी.
उसकी अभी तीन गोटियां बाहर थीं और एक अन्दर थी.

लेकिन जो तीन बाहर थीं वह भी मेरे पाले तक नहीं आई थीं क्योंकि वो बहुत सहज कर खेल रही थी.
उसकी सहजता से खेलने का फायदा उठाकर मैंने अपनी दो गोटियां उसके पाले में उतार दीं.

छह आते ही उसने अपनी अन्दर बंद गोटी बाहर निकाल ली. फिर चार से उसने मेरे पीछे अपनी एक गोटी लगा दी.
दो से मैंने अपनी गोटी को वहां से आगे बढ़ाया. फिर तीन आया और फिर मेरी ये गोटी वापस मेरे पाले में जा पहुंची.

‘चलो चलो उतारो उतारो.’
उसने ताना मारते हुए मुझे चिढ़ाया.

मैंने उसकी ओर देखा और अपनी बनियान उतार कर रख दी.
तीन से मैंने एक गोटी को आगे बढ़ाया, पांच आने पर उसने अपनी गोटी मेरे पाले में बढ़ा दी क्योंकि वहां कोई नहीं था.

दो से उसी गोटी को आगे चलाया ताकि वो महफूज़ हो सके, उसी समय अचानक छह-छह-एक और उसकी हरी गोटी घर जाते हुए दिखी.
गोटी कटते ही उसने मायूस चेहरा नीचे गिरा लिया और कुछ देख रुककर अपनी जींस से बनियान निकाल उतारने को हुई.

मैं उसे ही देख रहा था, किस तरह उसने दोनों हाथों से बनियान को नीचे से उठाया और बाजू 90 के एंगल पर करते हुए उतारा.
स्तनों के रास्ते में अटकने से उसने थोड़ा जोर लगाया तो स्तन गेंद की भांति टप्पा खाने के अंदाज़ में दो-तीन बार उछले. इसी के साथ मेरा दिल भी दो-तीन अन्दर ही अन्दर टप्पा खा चुका था.

आज पहली बार मैं उसके स्तनों की गोलाई उसकी ब्रा से लगा पा रहा था जो वजनदार होने की गवाही दे रहे थे.
बनियान को उतार उसने एक ओर रख दी और बालों से स्तनों को ढक कर सहजता से मेरी तरफ देखने लगी.

दोस्तो, ये गेम लूडो का जरूर था, मगर इसमें एक ख़ास बात आपने नोट की होगी कि हम दोनों के अन्दर एक छिपी हुई वासना थी, जो बिना जाहिर हुए ही अपनी आग को भड़का रही थी.

लूडो का खेल कब चुदाई के खेल में बदल गया, ये आपको सेक्स कहानी के अगले भागों में मालूम पड़ेगा.

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मुझे इंतजार रहेगा.
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लड़का लड़की सेक्सी कहानी का अगला भाग: लूडो का खेल चुदाई में तब्दील हो गया- 2

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